अमरेंद्र की गिरफ्तारी ने एचसीएस अफसरों में भरा जोश, एजीएम बुलाई

अमरेंद्र की गिरफ्तारी ने एचसीएस अफसरों में भरा जोश, एजीएम बुलाई

अमरेंद्र की गिरफ्तारी ने एचसीएस अफसरों में भरा जोश

अमरेंद्र की गिरफ्तारी ने एचसीएस अफसरों में भरा जोश, एजीएम बुलाई

- तीन साल से नहीं हुई है एनुअल जनरल मीटिंग, न ही फिलहाल कोई प्रधान

कथित भ्रष्टाचार के मामले में एचसीएस अधिकारी अमरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश के एचसीएस अधिकारी लामबद होने लगे हैं। तीन साल से निष्क्रिय पड़ी असोसिएशन को सक्रिय करने की व्यूहरचना होने लगी है। फिलहाल असोसिएशन का न तो कोई प्रधान है और न ही तीन साल से एनुअल जनरल मीटिंग हो पाई है। ऐसे में संभावना है कि 15 दिन का नोटिस जारी कर एजीएम बुला ली जाए और प्रधान चुनने के साथ ही कार्यकारिणी गठित कर ली जाए, ताकि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रदेश सरकार से संवाद का सिलसिला शुरू हो सके।

अमरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के तरीके को लेकर प्रदेश के एचसीएस अधिकारी खासे नाराज हैं। इनके व्हाट्सऐप ग्रुप में कई एचसीएस अफसरों ने जमकर भड़ास भी निकाली और एकजुट होने की कवायद करते हुए भी नजर आए। इनके बीच अमरेंद्र के काम, व्यवहार को लेकर तो चर्चा चली ही, साथ ही उनकी गिरफ्तारी के तरीके को लेकर भी बात चली। इनमें इस बात को लेकर खासी नाराजगी दिखाई दी कि जब अमरेंद्र से विजिलेंस के सीनियर अधिकारी पूछताछ कर चुके थे और उनसे किसी तरह की बरामदगी भी नहीं हुई तो फिर उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया? इस बात को लेकर भी सवाल खड़े हुए कि विजिलेंस ने उन्हें फंसाने के लिए पुलिस विभाग की ओर से डीटीओ दफ्तर में तैनात एक पुलिसकर्मी को ही सरकारी गवाह बना लिया और जब कोर्ट ने आंखें तरेरी तो तुरंत उस पुलिसकर्मी को सरकारी गवाह बनाने की अर्जी वापस ले ली। इसके अलावा बार-बार एचसीएस अधिकारियों को प्रताड़ित करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से अपनाए जाने वाले तरीकों पर भी चर्चा होती रही।

इसी बीच बात चली कि प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित अधिकारी माने जाने वाले हरियाणा सिविल सर्विस के अफसरों की आवाज कोई एक-दो या पांच-सात अफसर मिलकर सरकार के सामने नहीं उठा सकते। इसलिए ठप पड़ी असोसिएशन को पुनर्जीवित किया जाए। बता दें कि तीन साल से असोसिएशन की एजीएम तक नहीं हुई है और करीब एक साल से प्रधान व कार्यकारिणी भी नहीं बनी है। ऐसे में फैसला हुआ है कि 15 दिन का नोटिस जारी करते हुए एजीएम बुला ली जाए। एजीएम ऐसे सेंटर प्वाइंट पर बुलाने की चर्चा हुई, जहां हर कोने से एचसीएस अधिकारी पहुंच सकें। ऐसे में माना जा रहा है कि करनाल में एजीएम होगी। करनाल न सिर्फ मुख्यमंत्री का राजनीतिक क्षेत्र है, बल्कि सरकार से नाराज तमाम कर्मचारी संगठन अपने धरने-प्रदर्शन के लिए भी करनाल का ही चयन करते हैं। करनाल में एजीएम करके एक ही झटके में प्रदेश सरकार को तमाम एचसीएस अधिकारी अपनी नाराजगी का मैसेज देने में भी कामयाब हो जाएंगे।

अभी तक की सूचना के मुताबिक एजीएम के दौरान 2004 बैच के वीरेंद्र सहरावत या वर्षा खनगवाल में से किसी को प्रधान चुना जा सकता है। कार्यकारिणी में सबसे ज्यादा स्थान 2019 व 2020 बैच को मिल सकता है, क्योंकि संख्या के हिसाब से ये दोनों बैच काफी बड़े थे। एजीएम के अंदर इस बात का प्रस्ताव भी लाया जा सकता है कि सरकार के खिलाफ अपने विरोध को किस तरह से चलाया जाए। यानी, कलम छोड़ हड़ताल, ज्ञापन देने या अन्य तरीकों पर आपसी सहमति से फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि अमरेंद्र की गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर जिस तरह का जोश एचसीएस अफसरों के व्हाट्सऐप ग्रुप में नजर आया, यह आने वाले दिनों में भी बरकरार रहता है या पूर्व की भांति सभी अपने-अपने कामों में व्यस्त हो जाएंगे।